ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है? – हिंदी में जानें।

ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है? (What is Operating System in Hindi)

आज हम जानेंगे की ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है? (What is Operating System in Hindi) जैसा की हम जानते है की ऑपरेटिंग सिस्टम एक सिस्टम सॉफ़्टवेयर है जिसमें कंप्यूटर को बूट करते समय लोड किए गए प्रोग्राम शामिल होते हैं। यह अन्य एप्लीकेशन्स को चलाने के लिए भी जिम्मेदार होता है ऑपरेटिंग सिस्टम उपयोगकर्ता, एप्लीकेशन प्रोग्राम, हार्डवेयर और सिस्टम बाह्य उपकरणों के बीच  इंटरफ़ेस के रूप में कार्य करता है।

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एक ऑपरेटिंग सिस्टम में प्रोग्राम का एक समूह होता है, जो कंप्यूटर सिस्टम के विभिन्न घटकों की गतिविधियों को नियंत्रित करता है, समन्वय करता है और संचालन करता है। यह एक प्रोग्राम है जो उपयोगकर्ता और हार्डवेयर के बीच इंटरफ़ेस के रूप में कार्य करता है। इस इंटरफ़ेस के द्वारा उपयोगकर्ता कंप्यूटर के हार्डवेयर संसाधनों का उपयोग बहुत कुशलता से करता है। ऑपरेटिंग सिस्टम (OS) विशेष प्रोग्राम्स (Specialised Programs) का एक संगठित कलेक्शन होता है जो कंप्यूटर के उचित संचालन को नियंत्रित करता हैं। यह एक प्रोग्राम है जो उचित बूटिंग के लिए किसी भी कंप्यूटर पर होना चाहिए।

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ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रकार (Types of Operating System in Hindi)

ऑपरेटिंग सिस्टम को निम्नलिखित रूप में वर्गीकृत किया गया है:

ऑपरेटिंग सिस्टम दो प्रकार के होते है: नेटवर्क ऑपरेटिंग सिस्टम (NOS) और स्टैंडअलोन डेस्कटॉप ऑपरेटिंग सिस्टम यानी क्लाइंट ऑपरेटिंग सिस्टम। उदाहरण के लिए —

  • Windows Server 2012
  • Windows Server 2008
  • Windows Server 2003
  • Unix
  • Linux
  • NetWare
  • Windows 10
  • Windows 8/8.1
  • Windows 7
  • Windows XP Professional
  • Windows 2000 Professional
  • Windows 95/98
  • MS-DOS

उपभोक्ताओं की संख्या के आधार पर ऑपरेटिंग सिस्टम को दो भागो मे विभाजित किया जाता है:-

  1. एकल उपयोगकर्ता (Single User Operating System): यह ऑपरेटिंग सिस्टम का एक प्रकार है जो एक समय में केवल एक उपयोगकर्ता को ही एक्सेस करने की अनुमति देता है। पर्सनल कंप्यूटर (PC) के लिए इस्तेमाल होना वाला ऑपरेटिंग सिस्टम एकल उपयोगकर्ता ओएस है जो एक समय में एक कार्य का प्रबंधन करने के लिए डिज़ाइन किए गए होते हैं। उदाहरण: एमएस-डॉस, विंडोज 3 एक्स, विंडोज 95/97/98 आदि।
  2. बहुल उपयोगकर्ता (Multi User Operating System): यह ऑपरेटिंग सिस्टम एक साथ कई उपयोगकर्ताओं को एक कंप्यूटर सिस्टम को एक साथ एक्सेस करने की अनुमति देता है। यह कंप्यूटर नेटवर्क में प्रयोग किया जाता है जो एक ही समय में एक ही डेटा और एप्लीकेशन्स को एकाधिक उपयोगकर्ताओं द्वारा एक्सेस करने की अनुमति देता है। उदाहरण: विंडोज़ 10, लिनक्स आधारित ओएस, मैक ओएस, उबंटू, यूनिक्स आदि।

काम करने के मोड के आधार इन्हें निम्नलिखित भागो मे वर्गीकृत किया जाता है:-

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  1. कमांड लाइन इंटरफेस (Command Line Interface): यह करैक्टर यूजर इंटरफेस (CUI) के रूप में भी जाना जाता है, सीयूआई एक इंटरफ़ेस है जिसके द्वारा हम कंप्यूटर सिस्टम से टाइपिंग के द्वारा इंटरैक्ट करने का एक तंत्र होता है। विशिष्ट कार्य करने के लिए उपयोगकर्ता के द्वारा कमांड्स का इस्तेमाल किया जाता है, इन कमांड्स के द्वारा स्वचालित रूप से काम करना आसान हो जाता हैं। सीएलआई केवल टेक्स्ट टाइप्स का उपयोग करता है इन कमांड्स का इस्तेमाल हम एमएस-डॉस में करते है।
  2. ग्राफिकल यूजर इंटरफेस (Graphical User Interface): यह एक कंप्यूटर प्रोग्राम है जो किसी व्यक्ति को प्रतीकों, विसुअल्स और पॉइंटिंग उपकरणों के इस्तेमाल से कंप्यूटर के साथ संचार करने में सक्षम बनाता है। पहला ग्राफिकल यूजर इंटरफेस 1970 के दशक में ज़ेरॉक्स कार्पोरेशन द्वारा डिजाइन किया गया था। हम रोजाना ग्राफिकल यूजर इंटरफेस वाले उपकरणों का इस्तेमाल करते है, जैसे कि एमपी 3 प्लेयर, पोर्टेबल मीडिया प्लेयर, गेमिंग डिवाइसेज़, आदि में पाई जा सकती हैं।

ऑपरेटिंग सिस्टम के कार्य (Functions of Operating System in Hindi)

ऑपरेटिंग सिस्टम एक बड़ा और जटिल सॉफ़्टवेयर है जिसमें कई घटक शामिल होते हैं। यह कंप्यूटर सिस्टम से जुड़े सभी संसाधनों के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार होता है।

निम्नलिखित कार्यों उपयोगकर्ताओं की सुविधा के लिए एक ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा प्रदान की जाती हैं।

  • प्रक्रिया प्रबंधन (Process Management): प्रोसेस एक प्रोग्राम है जो कंप्यूटर में प्रोसेसर (सीपीयू) द्वारा निष्पादित किया जाता है। ऑपरेटिंग सिस्टम प्रक्रियाओं का सृजन (Creation) और विलोपन (Deletion) संभालता है और एक प्रोसेस के शेड्यूलिंग और सिंक्रनाइज़ेशन को भी प्रबंधित करता है। प्रक्रिया प्रबंधन एक ऑपरेटिंग सिस्टम का महत्वपूर्ण हिस्सा है जो एक प्रक्रिया की योजना (Planning), नियंत्रण (Controlling) और प्रदर्शन (Performance) की गतिविधियों को सक्षम करता है।
  • मेमोरी प्रबंधन (Memory Management): ऑपरेटिंग सिस्टम की मेमोरी प्रबंधन विभिन्न प्रक्रियाओं के लिए मुख्य मेमोरी की एलोकेशन और डी-अलोकन का ध्यान रखता है। प्राथमिक मेमोरी को मैनेज करना, साझा करने और कम से कम मेमोरी एक्सेस का समय प्रबंधित करना है। यह मेमोरी उपयोग का ट्रैक भी रखता है और पूरे सिस्टम के प्रदर्शन के लिए मेमोरी प्रबंधन करता है।
  • फाइल प्रबंधन (File Management): ऑपरेटिंग सिस्टम के फ़ाइल प्रबंधन मॉड्यूल विभिन्न स्टोरेज उपकरणों के साथ फ़ाइलों को स्थानांतरण करता है। फाइल प्रबंधन में फ़ाइलों और डायरेक्ट्रीज दोनों को बनाने और हटाने, फ़ाइलों के लिए स्थान आवंटित करना, बैकअप रखने, सुरक्षित करना तथा फ़ाइलों तक आसानी से पहुंचना शामिल है।
  • इनपुट/आउटपुट मैनेजमेंट (Input/Output Management): इनपुट/आउटपुट मैनेजमेंट मॉड्यूल के द्वारा कंप्यूटर विभिन्न इनपुट और आउटपुट डिवाइसेस अर्थात् टर्मिनल, प्रिंटर, डिस्क ड्राइव, टेप ड्राइव इत्यादि को असाइन करता है। इनपुट / आउटपुट मैग्जमेंट मॉड्यूल सभी I/O डिवाइसों को नियंत्रित करता है, IO अनुरोधों का ट्रैक रखता है, यह सुनिश्चित करता है की I/O डिवाइसेस कुशलतापूर्वक और सही ढंग से काम कर रहा है या नही।
ऑपरेटिंग सिस्टम की आवश्यकता (Why We Need an OS?)

जैसा की हम जानते है की बिना ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) के कंप्यूटर का कोई अस्तित्व नही है बिना ऑपरेटिंग सिस्टम कंप्यूटर एक खाली डिब्बे के सामान है। यह उपयोगकर्ता (User) और कंप्यूटर के हार्डवेयर (Computer Hardware) के बीच इंटरफ़ेस (Interface) का काम करता है अगर आपके कंप्यूटर सिस्टम में ऑपरेटिंग सिस्टम इनस्टॉल (Install) न हो तो आपके कीबोर्ड (Keyboard), मॉनिटर (Monitor), माउस (Mouse), सीपीयू (CPU) आदि के बीच कभी भी संबंध स्थापित नही हो पायेगा। ऑपरेटिंग सिस्टम ही समस्त हार्डवेयर घटकों (Hardware Components) के बिच सम्बंध स्थापित करती है इसके द्वारा ही उपयोगकर्ता तनाव रहित होकर अपना काम करता है क्योंकि यही कंप्यूटर सिस्टम (Computer System) के सभी साधनो को व्यवस्थित करती है। इसके द्वारा ही समस्त कार्य किए जाते है जैसे:- मेमोरी प्रबंधन (Memory Management), मल्टी प्रोसेसिंग (Multi Processing), मल्टी प्रोग्रामिंग (Multi Programming), फाइल प्रबंधन (File Management), मल्टी टास्किंग (Multi Tasking), मल्टी थ्रेडिंग (Multi Threading), इनपुट/आउटपुट प्रबंधन (Input/Output Management) आदि।

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इन्हें भी देखें –

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Shivam Pandey is a Software Engineer and a Professional Blogger. He is "CCNA", "MCSE" & "RHCE" certified and is currently working as a Full Stack Java Developer at Tata Consultancy Services Limited (TCS).

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